म्युचुअल फंड क्या है?
एक म्यूचुअल फंड एक प्रकार का वित्तीय वाहन है जो कई निवेशकों से एकत्र किए गए धन के पूल से बना होता है, जैसे कि स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स और अन्य परिसंपत्तियों में निवेश करने के लिए। म्युचुअल फंड पेशेवर पैसे प्रबंधकों द्वारा संचालित होते हैं, जो फंड की संपत्ति को आवंटित करते हैं और फंड के निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ या आय का उत्पादन करने का प्रयास करते हैं। म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो को संरचित किया जाता है और इसके प्रॉस्पेक्टस में बताए गए निवेश उद्देश्यों से मेल खाता है।
निवेशकों की एक बड़ी संख्या के द्वारा जमा राशि को Mutual Fund कहते हैं जिसे एक फण्ड में डाल दिया जाता है। फण्ड मेनेजर इस पैसे को विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश करने के लिए अपने निवेश प्रबंधन कौशल का उपयोग करता है। म्यूचुअल फंड कई तरह से निवेश करता है जिससे उसका रिस्क और रिटर्न निर्धारित होता है
म्यूचुअल फंड छोटे या व्यक्तिगत निवेशकों को इक्विटी, बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों के पेशेवर रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो तक पहुंच प्रदान करते हैं। इसलिए, प्रत्येक शेयरधारक फंड के लाभ या हानि में आनुपातिक रूप से भाग लेता है। म्यूचुअल फंड बड़ी संख्या में प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं, और प्रदर्शन को आमतौर पर अंतर्निहित निवेशों के कुल प्रदर्शन से प्राप्त फंड के कुल मार्केट कैप में बदलाव के रूप में ट्रैक किया जाता है।
यूनिट किसे कहते हैं
म्यूचुअल फंड की जानकारी, इसमें निवेश कैसे कर सकते हैं और कैसे यह शेयर बाज़ार में सीधे निवेश करने के बजाए ज्यादा सुरक्षित निवेश माना जाता है। ज्यादातर लोगों को म्यूचुअल फंड अथवा इस जैसे अन्य वित्तीय शब्दजाल सुन कर डर लगता है। आप बारीकी से इसे देखो तो म्यूचुअल फंड की बुनियादी बातों को समझने के लिए डरने की वास्तव में बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं है।
म्यूचुअल फंड छोटे या व्यक्तिगत निवेशकों को विविध, पेशेवर रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो को कम कीमत पर एक्सेस देते हैं।
म्यूचुअल फंड को कई प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, जिसमें वे निवेश की जाने वाली प्रतिभूतियों के प्रकार, उनके निवेश के उद्देश्यों और उनके द्वारा चाहने वाले रिटर्न के प्रकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
म्यूचुअल फंड वार्षिक शुल्क (व्यय अनुपात कहा जाता है) और, कुछ मामलों में, कमीशन, जो उनके कुल रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।
नियोक्ता-प्रायोजित सेवानिवृत्ति योजनाओं में अधिकांश पैसा म्यूचुअल फंड में चला जाता है।
म्यूचुअल फंड को समझना
म्युचुअल फंड, निवेश करने वाली जनता से धन एकत्र करते हैं और उस धन का उपयोग अन्य प्रतिभूतियों, आमतौर पर शेयरों और बांडों को खरीदने के लिए करते हैं। म्यूचुअल फंड कंपनी का मूल्य उस प्रतिभूतियों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है जिसे वह खरीदने का फैसला करता है। इसलिए, जब आप म्यूचुअल फंड की एक यूनिट या शेयर खरीदते हैं, तो आप उसके पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को खरीद रहे होते हैं, या इससे अधिक सटीक रूप से, पोर्टफोलियो के मूल्य का एक हिस्सा। म्यूचुअल फंड के शेयर में निवेश करना स्टॉक के शेयरों में निवेश करने से अलग है। स्टॉक के विपरीत, म्यूचुअल फंड शेयर अपने धारकों को कोई मतदान अधिकार नहीं देते हैं। म्यूचुअल फंड का एक हिस्सा सिर्फ एक होल्डिंग के बजाय कई अलग-अलग शेयरों (या अन्य प्रतिभूतियों) में निवेश का प्रतिनिधित्व करता है।म्यूचुअल फंड कई निवेशकों के लिए एक लोकप्रिय और आसानी से समझ में आने वाला निवेश का साधन है। ऐसे निवेशक जिनके पास शेयर मार्केट की जानकारी की कमी है, समय की कमी है या छोटा निवेश करना चाहते हैं ऐसे निवेशकों के लिए Mutual Funds में निवेश करना आसान है और साथ ही वे म्यूचुअल फंड के अन्य फायदे भी प्राप्त कर सकते हैं। यहां हम म्यूचुअल फंड में निवेश के इन फायदों की चर्चा विस्तार से करेंगे
म्यूचुअल फंड के प्रकार
म्युचुअल फंड को कई प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किया जाता है, उनके पोर्टफोलियो के प्रकार और प्रतिभूतियों के लिए लक्षित प्रतिभूतियों के प्रकार का प्रतिनिधित्व करते हैं। लगभग हर प्रकार के निवेशक या निवेश के दृष्टिकोण के लिए एक कोष है। अन्य सामान्य प्रकार के म्यूचुअल फंड में मनी मार्केट फंड, सेक्टर फंड, वैकल्पिक फंड, स्मार्ट-बीटा फंड, लक्ष्य तिथि फंड और यहां तक कि फंड के फंड या म्यूचुअल फंड शामिल हैं जो अन्य म्यूचुअल फंड के शेयर खरीदते हैं
इक्विटी फंड
लार्ज कैप फंड
जो फंड अपने कॉर्पस का बड़ा हिस्सा लार्ज कैपिटल मार्केट कंपनी या ‘द बिग फिश’ कहे जानेवाले कंपनी में करता है उसे लार्ज कैप म्यूचुअल फंड कहते है| आम तौर पे, यह फंड्स काफी अच्छेऔर स्थिर रिटर्न्स देते है और इसमे जोखिम होने की सम्भावना मध्यम है| जो निवेशक ‘बाय एंड होल्ड’ में विश्वास रखते है उनके लिए यह फंड अच्छा साबित होता है|लार्ज कैप फंड में स्माल एंड मिडकैप की जगह कम रिस्क होता है। जिन लोगो को कम रिस्क के साथ निवेश करना होता है ये स्कीम उसके लिए बेस्ट होती है।लार्ज कैप कंपनियां पहले से बेहतर तरीके से स्थापित होती है। भारत में कुछ लार्ज कैप कंपनियों के उदाहरण है- रिलायंस, ब्रिटानिया, आईटीसी, एचयूएल
मिड कैप फंड
जो फंड मिड साइज कॉर्पसवाली कपनियों में निवेश करता है, उसे मिड कैप म्यूचुअल फंड कहते है | इस फंड में जोखिम की सम्भावना काफी ज़्यादा होती है और कीमत में अस्थिरता भी ज़्यादा होती है| यह फंड जरूरी नहीं की मार्केट के हिसाब से चले, जब मार्केट स्थिर हो और अच्छा परफॉर्म कर रहा हो तब मिड कैप फंड ख़राब परफॉरमेंस दे सकता है| जोखिम की सम्भावना भी ज़्यादा प्रमाण में जुडी होती है| जो निवेशक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की चाह में हो वे इस फंड में निवेश कर सकते है| जिस निवेशक को मध्यम रिस्क के साथ अच्छा रिटर्न चाहिए वो मिड कैप म्यूच्यूअल फंड्स चुनाव कर सकता है।
स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड
जो म्यूच्यूअल फंड्स, स्मॉल कैप वाली कंपनियों में निवेश करते हैं स्मॉल कैप फंड कहलाते हैं। स्मॉल कैप फंड वाली कंपनियां मार्केट में नए बिज़नेस के साथ स्थिरता प्राप्त करने का प्रयास करती है। इनमें रिटर्न देने की उच्च क्षमता होती है परंतु उसके साथ बहुत ज्यादा रिस्की भी होती है। साथ ही Small Cap Funds में रिस्क फैक्टर अन्य स्कीमों के मुकाबले सर्वाधिक होता है। यह म्यूचुअल फंड स्कीमें सर्वाधिक परिवर्तनशील मानी जाती हैआम तौर पर यह फंड उन कंपनियों में निवेश करता है जो बिज़नेस की शुरवात में है | यह कम्पनिया ज़्यादा फेमस न होने के कारण इनके फंड्स खरीदना फयदेमंद होता है, परंतु यह ज़रूरी है की निवेश करने से पहले आप कंपनी के रेकॉर्ड्स ठीक से जांच ले |
सेक्टर फंड
इस फंड में निवेश करने पे आप किसी एक सेक्टर के स्टोक्स में निवेश कर सकते है, इसी कारण इस फंड में विविधता नहीं है| परंतु यह बड़ी जोखिम वाली बात भी है क्योंकि अगर आपने निवेश किये हुए सेक्टर में मंदी आने पे आपका बहुत बड़ा नुक्सान हो सकता है| इसीलिए जो बड़ी जोखिम लेने के काबिल है वे इस सेक्टर में निवेश करे|
फ्लेक्सी कैप म्यूचुअल फंड
इस फंड में आपके ऊपर कोई भी बंधन नहीं होता, आप कोई भी कंपनी में आसानी से निवेश कर सकते है चाहे वो छोटी हो या बड़ी| इस प्रकार के फंड में मध्यम जोखिम होने की सम्भावना होती है|
Sector fund
ये किसी विशेष सेक्टर में इनवेस्टमेंट करते हैं। ये फंड भी Risky होता है, क्योंकि इस फंड में आपका पैसा पूरे तरह से उस सेक्टर पर निर्भर करता है। अगर आपका फंड उस सेक्टर में लग गया, जो सेक्टर अच्छा perform नहीं कर रहा तो आपको नुकसान हो सकता है।
ELSS म्यूच्यूअल फंड
ELSS का अर्थ है इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम। ELSS इक्विटी में निवेश करने वाली स्कीम ही होती है। यह स्कीम इक्विटी ओरिएंटेड होती है। पिछले कुछ समय में लोगों में टैक्स सेविंग के लिए ELSS स्कीम का प्रचलन बढ़ा है। ELSS में निवेश किए गए पैसे में 3 साल का लॉक इन होता हैं। ELSS में किए गए निवेश पर हमें इनकम टैक्स की धारा 80 सी के अंतर्गत डेढ़ लाख रुपए तक की छूट मिलती है।
हाइब्रिड फंड
जो म्यूच्यूअल फंड स्कीम अपना पैसा डेट (debt) एवं इक्विटी दोनों में लगाती है वह हाइब्रिड फंड की श्रेणी में आती है। प्रत्येक हाइब्रिड फंड में इक्विटी एवं debt का हिस्सा अलग-अलग होता है।
हाइब्रिड फंड का उद्देश्य एक बैलेंस पोर्टफोलियो बनाकर अपने निवेशकों को रेगुलर इनकम देना होता है। Debt फंड की तुलना में हाइब्रिड फंड ज्यादा रिस्की होता है परंतु इक्विटी फंड की तुलना में कम रिस्की होते हैं।
हाइब्रिड फंड को भी अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जा सकता है जैसे कि Equity Oriented hybrid fund, Debt Oriented hybrid fund, Balanced fund, Monthly income plans, arbitrage fund.
Equity Oriented hybrid fund
Debt Oriented hybrid fund
Balanced fund-
नाम के मुताबिक आपको लग रहा होगा कि ये एक balance है यानि इसमें 50% Equity और 50% Debt में इनवेस्ट करते है।
मगर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, इस फंड में 65% से 85 % तक पैसे equity में इनवेस्ट करता है और बाकि के पैसे debt instrument में इनवेस्ट किया जाता है। equity balance fund में रिटर्न्स अच्छे आते हैं पर risk काफी ज्यादा होता है।
लेंस्ड फंड या हाइब्रिड फंड डेब्ट और इक्विटी का मिश्रण है | यह फंड नए निवेशकों केलिए सही माना जाता है| इस फंड का ध्येय इक्विटी और डेब्ट के मिश्रण से कैपिटल ग्रो करना है| बैलेंस्ड फंड के दो प्रकार है
इक्विटी ओरिएंटेड
बैलेंस्ड इक्विटी फंड्स में निवेशकों को कम से कम ६५% का निवेश इक्विटी मार्केट में करना होता है| आम तौर पे, ये फंड्स एवरेज रिटर्न्स देते है परंतु जब मार्केट ठीक से परफॉर्म नहीं करता तब ये इक्विटी स्मॉल कैप या मिड कैप से कई अच्छे रिटर्न्स देते है |
डेब्ट ओरिएंटेड
बैलेंस्ड डेब्ट फंड्स में निवेशकों को कम से कम ६५% का निवेश डेब्ट मार्केट में करना होता है| यह फंड्स शॉर्ट टर्म बॉन्ड से काफी अच्छे रिटर्न्स देते है| बैलेंस फंड में विभिन्न प्रकार की एसेट क्लास में निवेश किया जाता है जिसमें इक्विटी, डेब्ट्स, बांड्स एवं अन्य सिक्योरिटी आती है।
Arbitrage fund
Arbitrage Funds के जरिए बदलने वाले मार्केट में इनवेस्टमेंट किया जाता है। इसमें रिस्क काफी ज्यादा होता है। इसमें 65% से ज्यादा पैसा equities में इनवेस्ट किया जाता है। इसमें आप जो पैसा इनवेस्ट करते हैं वो safe तो रहता है पर इसमें returns कम ज्यादा होते रहते हैं।इस fund में returns ज्यादातर 6-10% तक आते हैं।
Example
जब किसी स्टॉक की कीमत Cash Market में 200 रुपये हो और Derivate market में उसी स्टॉक की कीमत 210 रुपये हो । तब इस इन दोनों के बीच जो 10 रुपये का अंतर आ रहा है वो arbitrage fund से कमाया जाता है।
Monthly Income plans
Diversify Equity Fund
वो फंड जो अलग-अलग सेक्टर्स की और अलग-अलग मार्केट कैपिटल की कंपनियों में इनवेस्ट करते हैं।इस फंड में रिस्क बहुत कम होता है और आपका पैसा Diversify में इनवेस्ट होते हैं।
डेब्ट म्यूचुअल फंड्स फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करते है, जैसे की ट्रेज़री बिल्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स, अदि| इन सारे बॉन्ड्स की अपनी अलग मैच्योरिटी होती है| इनका रेट ऑफ़ रिटर्न फिक्स्ड होता है|
आम तौर पर, डेब्ट सिक्योरिटीज को रेटिंग CRISIL, CARE, FITCH, ICRA, जैसी एजेंसीज के द्वारा दी जाती है, ताकि वे डेब्ट सिक्योरिटीज की क्रेडिट योग्यता को जांच सके| इन सिक्योरिटीज की रेटिंग जान के आपको यह तसल्ली होगी की आपके फंड्स सुरक्षित है|
बाजार में कई तरह के डेब्ट फंड्स उपलब्ध होते है और आप अपनी ज़रूरत के हिसाब से उन्हें चुन सकते है|
डेब्ट फंड्स के अनेक प्रकार होते है जैस की,
गिल्ट फंड
गिल्ट फंड्स सिर्फ गोवर्नमेंट सिक्योरिटीज में निवेश करते है| आम तौर पर, जो निवेशक चाहते है की उनके फंड्स कम जोखिमवाले एवं सुरक्षित रहे, वे गिल्ट फंड्स में निवेश करना पसंद करते है| इन फंड्स में लॉन्ग टर्म मैच्योरिटी के साथ शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी भी उपलब्ध है|
बॉन्ड फंड
एक बॉन्ड फंड अनेक प्रकार के बॉन्ड्स जिनकी मैच्योरिटी अलग हो उनका मेल है| जब कोई एक बॉन्ड अच्छा परफॉर्म न कर रहा हो तब इस बॉन्ड के निवेशकों को कोई जोखिम नहीं क्योंकि अन्य बॉन्ड्स उसे सवार लेते है| ये बॉन्ड कई फिक्स्ड रिटर्न मार्गों में विविध है|
लिक्विड फंड
लिक्विड फंड आपके राशि को शॉर्ट -टर्म मनी मार्केट इंट्रूमेंट्स में निवेश करता है| यह इनसरमेंट्स की मैच्योरिटी ९१ दिन तक होती है| यह सिक्योरिटीज कम जोखिम वाली एवं इनके कीमत में उतार-चढाव की सम्भावना भी कम होती है|
अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन
इस फंड में भी निवेशक शॉर्ट टर्म इन्वस्टमेंट करते है, परंतु इसमें जोखिम की सम्भावना लिक्विड फंड से ज़्यादा होती है क्योंकि इस फंड की मैच्योरिटी ३ महीने से ६ महीने तक होती है| इसीलिए जो निवेशक १ साल तक निवेश करना चाहते है उनके लिए यह फंड अच्छा मन जाता है|
लो ड्यूरेशन
आम तौर पर, जो निवेशक १ साल से ज़्यादा का समय पसंद करते वे इस बॉन्ड को चुनते है| ल्क्विड फंड और अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड की तुलना में ये बॉन्ड काफी अच्छे रिटर्न्स देता है| इनके मैच्योरिटी ३ साल जितनी होती है| जब शार्ट टर्म इंट्रेस्ट रेट ज़्यादा ऊपर हो तब वे अच्छा परफॉर्म करते है| यह बॉन्ड उन निवशकों केलिए उचित है जो बड़ी जोखिम लेने की काबिल है|
अब Structure के हिसाब से Mutual Fund के प्रकार समझते हैं
Structure के हिसाब से Mutual Fund दो मुख्य type होता है- Open Ended Fund & Close Ended Fund. इसके अलावा एक और फंड होता है Interval Fund, ये फंड बहुत ही कम होते हैं।
1. Open ended fund
ज्यादातर Mutual Fund Schemes Open Ended होते हैं और इस फंड को आप कभी भी buy & sell कर सकते हैं। Open Ended Fund कितने भी units issue कर सकता है।
2. Close ended fund
बहुत ही कम Mutual Fund Close Ended Fund होते हैं, इसमें एक fix units के साथ फंड आते हैं। इस Fund को आप हर वक्त buy &sell नहीं कर सकते हैं। जब ये फंड अपना NFO-New Fund Offer लेकर आता है, तब ही आप इस फंड में इनवेस्ट कर सकते हैं।
अगर आपको इस Fund को बेचने का मन होगा तो आपको उस फंड के maturity तक का इंतजार करना होगा या फिर आप इस फंड को Stock Exchange से buy & sell कर सकते हैं। ये funds stock exchange में लिस्ट होती हैं, मगर Close Ended Fund की liquidity बहुत कम होती है इसलिए आपको इस फंड के buyers & sellers मुश्किल से मिलेंगे।
Fund manage करने के हिसाब से mutual fund के प्रकार समझ लेते हैं
Fund manage करने के हिसाब से mutual fund दो प्रकार के होते हैं- Actively managed fund, passively managed fund
1. Actively Managed Fund
इसमें fund के इनवेस्टमेंट से जुड़े सभी decisions उस फंड का मैनेजर लेता है। इस फंड में फंड मैनेजर active काम करता है।
जैसे- किन स्टॉक में इनवेस्ट करना है?, कैसे-कैसे फंड में इनवेस्ट करना है? इन सभी चीजों का निर्णय fund manager खुद लेता है।
2. Passively Managed Fund
इस फंड में इनवेस्टमेंट Fund Manager के जरिए मैनेज नहीं किया जाता है। इसमें फंड किसी भी index- Sensex या nifty में किया जाता है और इसके रिटर्न भी index पर निर्भर करते हैं।
और भी कई प्रकार के फंड्स होते हैं
International Fund
इस फंड में foreigner companies में इनवेस्टमेंट करता है। इस फंड के return काफी ज्यादा होते हैं।
Real estate Fund
इस फंड में इनवेस्टमेंट real estate से जुड़ी कंपनियों में होता है। इसमें रिटर्न बहुत ज्यादा fluctuate होते रहते हैं।
Gold Fund
इस फंड में इनवेस्टमेंट गोल्ड में किया जाता है। इसमें भी बहुत ज्यादा Fluctuation होता है।
Exchange Trader Fund
इस इनवेस्टमेंट में फंड स्टॉक मार्केट में स्टॉक की तरह ही ट्रेड करता है।
म्यूचुअल फंड के लाभ
कई कारण हैं कि म्यूचुअल फंड दशकों से पसंद का खुदरा निवेशक वाहन रहा है। नियोक्ता-प्रायोजित सेवानिवृत्ति योजनाओं में अधिकांश पैसा म्यूचुअल फंड में चला जाता है। एकाधिक विलय समय के साथ म्यूचुअल फंड के बराबर हो गए हैं।
विविधता (Diversification)
जोखिम को कम करने के लिए एक पोर्टफोलियो के भीतर निवेश या परिसंपत्तियों का विविधीकरण, या म्युचुअल फंड में निवेश का एक फायदा है। विशेषज्ञ अपने जोखिम को कम करते हुए, पोर्टफोलियो के रिटर्न को बढ़ाने के तरीके के रूप में विविधीकरण की वकालत करते हैं। व्यक्तिगत कंपनी के शेयरों को खरीदना और उन्हें औद्योगिक क्षेत्र के शेयरों के साथ ऑफसेट करना, उदाहरण के लिए, कुछ विविधीकरण प्रदान करता है। हालांकि, वास्तव में विविध पोर्टफोलियो में विभिन्न पूंजीकरण और उद्योगों के साथ प्रतिभूतियां होती हैं और अलग-अलग परिपक्वता और जारीकर्ताओं के साथ बांड होते हैं। म्यूचुअल फंड खरीदने से व्यक्तिगत प्रतिभूतियों की खरीद की तुलना में विविधीकरण सस्ता और तेज हो सकता है। बड़े म्यूचुअल फंड आमतौर पर कई अलग-अलग उद्योगों में सैकड़ों विभिन्न शेयरों के मालिक हैं। एक निवेशक के लिए इस तरह के पोर्टफोलियो का निर्माण कम राशि के साथ करना व्यावहारिक नहीं होगा।
आसान पहुँच (Easy Access)
प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग, म्यूचुअल फंडों को सापेक्ष आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है, जिससे वे अत्यधिक तरल निवेश करते हैं। इसके अलावा, जब कुछ प्रकार की संपत्ति की बात आती है, जैसे कि विदेशी इक्विटी या विदेशी वस्तुएं, तो म्यूचुअल फंड अक्सर सबसे संभव तरीका है - वास्तव में, कभी-कभी एकमात्र तरीका- व्यक्तिगत निवेशकों के लिए भाग लेने के लिए।
पैमाने की अर्थव्यवस्थाएं (Economies of Scale)
म्यूचुअल फंड भी पैमाने की अर्थव्यवस्था प्रदान करते हैं। एक को खरीदना एक विविध पोर्टफोलियो बनाने के लिए आवश्यक कई कमीशन प्रभार के निवेशक को बख्शता है। एक समय में केवल एक सुरक्षा खरीदने से बड़ी लेनदेन फीस होती है, जो निवेश का एक अच्छा हिस्सा खाएगी। इसके अलावा, 100 से 20000 निवेश एक व्यक्तिगत निवेशक को वहन करने में सक्षम हो सकता है आमतौर पर स्टॉक का एक गोल लॉट खरीदने के लिए पर्याप्त नहीं होता है, लेकिन यह कई म्यूचुअल फंड शेयरों की खरीद करेगा। म्यूचुअल फंड के छोटे मूल्यवर्ग निवेशकों को निवेश की औसत लागत का लाभ उठाने की अनुमति देते हैं।क्योंकि एक म्यूचुअल फंड एक समय में बड़ी मात्रा में प्रतिभूतियों को खरीदता है और बेचता है, इसकी लेनदेन लागत प्रतिभूतियों के लेनदेन के लिए किसी व्यक्ति द्वारा भुगतान किए जाने की तुलना में कम होती है। इसके अलावा, एक म्युचुअल फंड, क्योंकि यह कई छोटे निवेशकों से पैसे लेता है, कुछ परिसंपत्तियों में निवेश कर सकता है या एक छोटे निवेशक की तुलना में बड़ा पद ले सकता है। उदाहरण के लिए, फंड के पास केवल संस्थागत निवेशकों के लिए उपलब्ध आईपीओ प्लेसमेंट या कुछ संरचित उत्पादों तक पहुंच हो सकती है।
पेशेवर प्रबंधन
म्यूचुअल फंडों का प्राथमिक लाभ स्टॉक लेने और निवेश का प्रबंधन करने में नहीं है। इसके बजाय, एक पेशेवर निवेश प्रबंधक सावधानीपूर्वक अनुसंधान और कुशल व्यापार का उपयोग करके इस सब का ध्यान रखता है। निवेशक फंड खरीदते हैं क्योंकि उनके पास अक्सर अपने पोर्टफोलियो को प्रबंधित करने का समय या विशेषज्ञता नहीं होती है, या उनके पास उसी तरह की जानकारी नहीं होती है जो एक पेशेवर फंड के पास होती है। एक म्युचुअल फंड एक छोटे निवेशक के लिए निवेश को बनाने और उसकी निगरानी करने के लिए एक पूर्णकालिक प्रबंधक होता है। अधिकांश निजी, गैर-संस्थागत धन प्रबंधक केवल उच्च-निवल मूल्य वाले व्यक्तियों के साथ सौदा करते हैं - निवेश करने के लिए कम से कम छह आंकड़े वाले लोग। हालांकि, म्यूचुअल फंड, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, बहुत कम निवेश न्यूनतम आवश्यकता है। इसलिए, ये फंड व्यक्तिगत निवेशकों के लिए कम लागत का रास्ता प्रदान करते हैं और पेशेवर धन प्रबंधन से उम्मीद करते हैं।
विविधता और पसंद की स्वतंत्रता
निवेशकों को विभिन्न प्रकार की शैलियों और प्रबंधन लक्ष्यों के साथ प्रबंधकों से शोध और चयन करने की स्वतंत्रता है। उदाहरण के लिए, एक फंड मैनेजर कई अन्य शैलियों के बीच मूल्य निवेश, विकास निवेश, विकसित बाजार, उभरते बाजार, आय, या वृहद आर्थिक निवेश पर ध्यान केंद्रित कर सकता है। एक प्रबंधक कई अलग-अलग शैलियों को नियुक्त करने वाले फंडों की देखरेख भी कर सकता है। यह विविधता निवेशकों को न केवल स्टॉक और बॉन्ड के लिए बल्कि विशेष म्यूचुअल फंड के माध्यम से कमोडिटीज, विदेशी संपत्ति, और अचल संपत्ति के संपर्क में आने की अनुमति देती है। गिरते बाजार से लाभ के लिए कुछ म्यूचुअल फंडों को संरचित किया जाता है (जिन्हें फंड फंड कहा जाता है)। म्युचुअल फंड विदेशी और घरेलू निवेश के लिए अवसर प्रदान करते हैं जो अन्यथा आम निवेशकों के लिए सीधे सुलभ नहीं हो सकते हैं।
पारदर्शिता
म्यूचुअल फंड उद्योग विनियमन के अधीन हैं जो निवेशकों के प्रति जवाबदेही और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
कुछ Mutual Funds
- Aditya Birla sun life mutual fund
- SBI Mutual fund
- UTI Mutual fund
- Kotak Mahindra Fund
- Motilal Oswal
- ICICI prudential mutual fund
- HDFC Mutual fund
- Reliance mutual funds



thanks
ReplyDeleteVery good information
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